प्र.23 निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए "दोनों दिन
भर जोते
जाते, डण्डे खाते, अडते। शाम को थान पर बांध दिए
जाते और रात को वही बालिका उन्हें दो रोटियाँ खिला जाती। प्रेम के इस प्रसा
की यह बरकत थी कि दो - दो गाल सूखा भूसा खाकर भी दोनों दुबेल न होते
मगर दोनों की आँखों में, रोम रोम में विद्रोह भरा हुआ था।
अथवा
मुझे लगता है, तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज
परत – पर – परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार
अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस प
अपना जूता आजमाया।